माँ बगलामुखी की प्रामाणिक पूजा विधि जो शत्रुओं पर विजय, न्यायालय में सफलता और सभी बाधाओं से मुक्ति प्रदान करती है।
श्री बगलामुखी पूजा हिन्दू धर्म में अत्यंत महत्वपूर्ण और शक्तिशाली अनुष्ठानों में से एक है। माँ बगलामुखी दस महाविद्याओं में से आठवीं महाविद्या हैं, जिन्हें पीताम्बरा देवी के नाम से भी जाना जाता है। वे स्तंभन शक्ति की अधिष्ठात्री देवी हैं, जो शत्रुओं की वाणी और कर्म को स्तंभित कर देती हैं।
बगलामुखी पूजा विशेष रूप से शत्रुओं पर विजय, न्यायालय के मामलों में सफलता, नकारात्मक ऊर्जाओं से सुरक्षा, और जीवन की सभी बाधाओं को दूर करने के लिए की जाती है। इस पूजा का विधिवत अनुष्ठान करने से साधक को माँ बगलामुखी की दिव्य कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है।
प्राचीन तांत्रिक ग्रंथों में वर्णित इस पूजा विधि का पालन करके साधक अपने जीवन में सकारात्मक परिवर्तन ला सकता है और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति पा सकता है।
बगलामुखी पूजा के लिए निम्नलिखित समय विशेष रूप से शुभ माने जाते हैं:
विशेष फल प्राप्ति के लिए निम्नलिखित अनुष्ठान किए जा सकते हैं:
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हाँ, बगलामुखी पूजा घर पर भी की जा सकती है। हालांकि, विशेष अनुष्ठानों के लिए अनुभवी पंडित या गुरु का मार्गदर्शन लेना उचित होता है। घर पर पूजा करते समय सभी विधि-विधानों का पालन करना आवश्यक है।
हाँ, महिलाएँ भी बगलामुखी पूजा कर सकती हैं। हालांकि, मासिक धर्म के दौरान पूजा से बचना चाहिए। पूजा के दौरान पीले वस्त्र धारण करना और सात्विक आहार लेना सभी के लिए आवश्यक है।
हाँ, बगलामुखी पूजा न्यायालय के मामलों में विजय प्राप्त करने के लिए विशेष रूप से प्रभावी मानी जाती है। यह शत्रुओं की वाणी को स्तंभित करती है और सत्य की जीत में सहायक होती है। न्यायालय जाने से पहले बगलामुखी मंत्र का जाप करना और हल्दी का तिलक लगाना लाभदायक होता है।
हाँ, बगलामुखी पूजा के दौरान सात्विक आहार लेना चाहिए। मांसाहार, मदिरा, लहसुन, प्याज आदि का सेवन नहीं करना चाहिए। पीले रंग के भोजन जैसे हल्दी वाली दाल, केसर खीर आदि का सेवन शुभ होता है। पूजा के दिन व्रत रखना भी उत्तम माना जाता है।
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